“कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा” और ऐसी ही बात है देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद की पत्नी ज्योति नैनवाल में भी, जिसने पति की शहादत के 3 साल बाद आर्मी अफसर बनकर मातृभूमि की सेवा का प्रण लिया | उत्तराखंड में देहरादून निवासी ज्योति के पति जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की गोली से शहीद हुए थे | पासिंग आउट परेड के गौरवशाली क्षणों में उनके दोनों बच्चे भी साथ उनके साथ रहे।
दरअसल ज्योति देश सेवा का यह फैसला तब लिया जब देहरादून में हर्रावाला के रहने नायक दीपक नैनवाल 10 अप्रैल 2018 को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों से मुठभेड़ में घायल होने के एक महीने 20 मई 2018 को शहीद हो गए थे। ज्योति ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी चेन्नई से पास हुए 178 कैडेट्स में से एक है | अकादमी में हुए POP के बाद ज्योति ने कहा कि वे अपने पति की रेजीमेंट का शुक्रिया अदा करना चाहती हैं। रेजीमेंट ने उनके साथ बेटी की तरह व्यवहार किया और हर कदम पर उनका साथ दिया। उन्होंने कहा कि वे इस तरह अपना जीवन बिताएंगी, जो उनके बच्चों के लिए उपहार के समान होगा।
गौरतलब है कि ज्योति के 2 बच्चे, बेटी लावण्या कक्षा 4 में और बेटा रेयांश कक्षा 1 का छात्र है। दोनों बच्चों अपनी मां के आर्मी अफसर बनने के गौरवशाली क्षणों के गवाह बने | हालांकि शहीद दीपक का पूरा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी देश की सेवा करता आया है | उनके पिता चक्रधर नैनवाल ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध, करगिल युद्ध और कई दूसरे ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया था। वही दादा सुरेशानंद नैनवाल भी स्वतंत्रता सेनानी थे। अब नयी पीढ़ी में बेटे की शहादत के बाद बहू को भी देश सेवा में भेजना उनके पारिवारिक संस्कारों का ही परिणाम है | ये ही वह बात है अपनी मिट्टी के सपूतों की सदियों की दुश्मनी के बाद भी देश की हस्ती नहीं मिटी |