प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खास मौकों पर पहनी खास पोशाक अक्सर चर्चा का विषय बन जाती है | इस गणतन्त्र दिवस उनके द्धारा पहनी ब्रहम कमल चिन्हित उत्तरखंडी टोपी ने भी सबका ध्यान अपनी और खींचा है, विशेषकर उत्तराखंड का | लेकिन अफसोस इस गणतंत्र दिवस के मौके पर इस टोपी को पहन कर देवभूमि के सांस्कृतिक पहचान का गौरव बढ़ाने की कोशिशों पर भी राजनीति होने लगी है । प्रदेश कॉंग्रेस अध्यक्ष को इसमें चुनाव में फायदा लेने की मंशा नज़र आ रही है वहीं भाजपा इसे मोदी का उत्तराखंड प्रेम दिखाई देता है |
73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली में मुख्य समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्रह्म कमल निशान वाली उत्तराखंडी टोपी क्या पहनी, प्रत्येक उत्तराखंडवासी का सीना चौडा हो गया । जहां एक और मोदी के इस अंदाज से राज्यवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, वहीं प्रदेश कांग्रेस को इसमें चुनावी राजनीति की बू आ रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि ब्रह्म कमल और उत्तराखंडी टोपी की पहचान राष्ट्रीय है। उन्होने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होने इस टोपी को पहनना खुशी की बात है। उम्मीद है कि उन्होंने इसे सिर्फ राज्य में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं पहना होगा। आगे भी यूं ही यह टोपी प्रधानमंत्री पहनना जारी रखेंगे।
वहीं भाजपा की और से पलटवार किया भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने | उन्होने कहा कि पीएम ने राष्ट्रीय पर्व पर यह टोपी पहनकर एक बार फिर उत्तराखंड से अपने जुड़ाव को प्रदर्शित करते हुए प्रत्येक राज्यवासी को भी गर्व से भर दिया है । उन्होने कहा उत्तराखंड पीएम के दिल मे रहता है, फिर चाहे वो यहाँ के विकास की बात हो या संस्कृति और परंपराओं के सम्मान दिखाने की बात । उन्होने कॉंग्रेस पर आरोप लगाया कि पीएम के ब्रह्मकमल टोपी पहनने पर आशंका जाहिर करने वालों को पहले बताना चाहिए, उनके नेता राहुल गांधी ने देहारादून की रैली में उनके द्धारा भेट रुद्राक्ष की माला को पहनने से क्यों इन्कार किया था । दरअसल राहुल ने ऐसा करके न केवल देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान बल्कि राज्य की मेहमाननमाज़ी को भी ठुकराकर उत्तराखंडियत का भी अपमान किया था |
हालांकि राजनैतिक आरोपों प्रत्यारोपों से अलग उत्तराखंडियत की बात करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत और अन्य कोंग्रेसीयों को तो प्रधानमंत्री के इस कदम की प्रशंसा करनी चाहिए | क्यूंकि उनके इस कदम ने देश विदेश तक इस विशेष उत्तरखंडी टोपी के माध्यम से उत्तराखंडियत को प्रचारित करने का काम किया है |