देहरादून। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मध्य उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मध्य परिसंपत्तियों का बंटवारा को प्रदेश हित में बताया। बैठक की जानकारी देते हुए महाराज ने कहा कि लगभग सभी मामलों पर दोनो राज्यों में सहमति बन चुकी है जो कि प्रदेश के लिए भी एक बड़ी सफलता है।
परिसम्पतियों पर बनी सहमति की जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रदेश में कुल 24 नहरों (ऊधमसिंहनगर की 20 तथा हरिद्वार की 04) को उत्तराखण्ड को हस्तांतरित किये जाने के आदेश कर दिये गये हैं। जबकि धौरा, बैगुल एवं नानक सागर जलाशय तथा पुरानी ऊपरी गंगा गंगनहर में जल क्रीडा एवं पर्यटन की अनुमति प्रदान कर दी गयी हैं। महाराज ने बताया कि दोनों राज्यों के बीच यह भी तय हुआ है कि जनपद ऊधमसिंहनगर के किच्छा में स्थित उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के 0.346 है0 भूमि बस स्टैड निर्माण हेतु उत्तराखंड को हस्तांतरित करेगा।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग द्वारा विद्युत बिलों के एरियर जिनकी धनराशि 50 करोड़ के लगभग है के तत्काल भुगतान तथा भविष्य के बिलों के नियमित भुगतान पर सहमति बन गई है।
उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश मतस्य निगम लिमिटेड द्वारा उत्तराखण्ड मतस्य पालन विकास अभिकरण को 3 करोड 8 लाख का भुगतान किया गया। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखण्ड परिवहन निगम को 205.42 (दो सौ पांच करोड़ बयालीस लाख) करोड रूपये के भुगतान पर सहमति बन चुकी हैं। उत्तराखण्ड खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश को देय 105.42 (एक सौ पांच करोड़ बयालीस लाख) करोड रूपये का भुगतान सीधे उत्तराखण्ड परिवहन निगम को किया जाएगा। जबकि शेष 100 करोड़ रूपये उत्तर प्रदेश परिवहन निगम उत्तराखण्ड परिवहन निगम को भुगतान करेगा।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की उत्तराखण्ड में स्थित परिसम्पतियों में उत्तराखण्ड को 50 प्रतिशत अंश प्राप्त होगा। हरिद्वार स्थित अलकनंदा पर्यटक आवास का हस्तांतरण उत्तर प्रदेश द्वारा माह दिसम्बर 2021 तक उत्तराखण्ड को कर दिया जाएगा। महाराज ने बताया कि शेष अन्य प्रकरणों को दोनों राज्यों के मुख्य सचिव आपसी सहमति से निस्तारित करेगें तथा सहमति की दशा में विभिन्न न्यायालयों में लम्बित वादों को भी वापस लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के उत्तराखण्ड परिक्षेत्र में उपयोग हेतु आवश्यक दोनों राज्यों के सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त सर्वे किया जायेगा। इस सर्वे की आख्या प्रस्तुत कर 15 दिनों के अन्दर निर्णय लेगें।
महाराज ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्ष 2015 में जब दोनों राज्यों के बीच परिस्पतियों को लेकर जो समझौता हुआ था उसके अन्तर्गत अनुपयुक्त रिक्त भूमि का मात्र 25 प्रतिशत अंश ही उत्तराखण्ड को दिये जाने पर सहमति हुई थी। लेकिन इस बार हुई बैठक में परिसम्पतियों में उत्तराखण्ड को 50 प्रतिशत अंश प्राप्त होगा जो कि हमारे लिए एक बड़ी सफलता है।