युवाओं, महिलाओं और विशेषकर बच्चों के लिए समर्पित नन्ही दुनिया ट्रस्ट ने आज अपना 75वां वर्ष पूरा किया | गौरव के इन क्षणों को मनाने के लिए “रेनबो प्लैटिनम जुबली” कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है | सप्ताह भर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने इस मौके पर ट्रस्ट के कार्यों को बच्चों में सांस्कृतिक प्रशिक्षण की पाठशाला बताया |
‘बच्चों और उनके हितैषीयो के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन “नन्ही दुनिया” ने अपनी स्थापना के 75 साल पूरे किएहैं । इस अवसर पर “रेनबो प्लैटिनम जुबली” एक सप्ताह तक चलने वाला भव्य कार्यक्रम मनाया जा रहा है। इसकी स्थापना आजादी से पूर्व 1946 में प्रोफेसर लेखराज उल्फत ने की थी। वह श्रीमती साधना उल्फत अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बाल सेवा के इस आंदोलन को निरंतर बढ़ाने में सफल हो गए | आंदोलन का एक मात्र यही उद्देश्य है कि किस प्रकार निस्वार्थ भाव से बच्चों की संवेदनाओं को मूल आकार दिया जा सके। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि तरुण विजय पूर्व सांसद राज्यसभा अध्यक्ष राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण एवं मुख्य प्रवर्तक श्रीमती किरण उल्फत गोयल ने पारंपरिक ढंग से दीप प्रज्वलित कर सपना दिवस का शुभारंभ किया। नन्हे नन्हे बच्चों द्वारा मुख्य अतिथि को तिलक एवं माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया।
तरुण विजय ने अपने संबोधन में उल्लेख किया “यह वह जगह है जहां मेरा सांस्कृतिक प्रशिक्षण शुरू हुआ । मैंने प्रोफेसर लेखराज उल्फत जी से बहुत कुछ सीखा।उन्होने यह भी कहा कि नन्ही दुनिया के साथ मेरे गहरे संबंध है।नन्ही दुनिया के बच्चों ने आलोक उल्फत द्वारा रचित “चले चलो के गीत” की प्रस्तुति दी । संयुक्त विश्व की आशा में “वी आर द वर्ल्ड “गीत को बहुत ऊर्जावान ढंग से प्रस्तुत किया गया।
नन्हीं दुनिया के समस्त शाखाओं के 80 बच्चों ने इस महोत्सव के दौरान “वन अर्थ ” फ्यूजन डांस की एक जोरदार प्रस्तुति दी जिसका निर्देशन सत्विका गोयल ने किया। बच्चों ने विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के 20 लोक नृत्यों का मिश्रण प्रस्तुत किया। इन बच्चो में कुछ, सात्विका गोयल के नेतृत्व में भी उस टीम का हिस्सा रहे हैं जिसने दो साल तक पोलैंड में बच्चों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव – ब्रेव किड्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
ओजस्य सोहम उल्फत के “रनिंग ऑन द स्काई” गीत को ऑनलाइन यू ट्यूब में रिलीज भी किया गया वा युवा कलाकार ने गिटार पर गा कर सबका मन मोह लिया। नन्ही दुनियां के ७५ वर्ष के इतिहास पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया। आलोक उल्फत के मार्गदर्शन में स्वयंसेवक गुंजन ने इस पुस्तक का डिजाइन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद श्री तरुण विजय ने कहा कि मैं आश्चर्यचकित हूं कि कैसा महसूस कर रहा हूं इस वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है बच्चों ने ऊर्जावान मनमोहक प्रस्तुति दी उन्होंने कहा मैं इस प्रदर्शन को प्रधानमंत्री तक ले जाना चाहता हूं और मैं सरकार से निवेदन करूंगा कि प्रो उल्फत जी के नाम पर भी एक अवार्ड घोषित किया जाए | श्रीमती किरण उल्फत गोयल ने समापन भाषण में अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा, “नन्ही दुनिया के विकास की प्रक्रिया में समाज के सभी कोनों स समर्थन और भागीदारी का स्वागत है।” विजय ने कहां कि यह अत्यधिक प्रसन्नता की बात है कि इस अवसर पर देश विदेशों से आए संदेश ,आशीर्वचन प्राप्त हुए जिसमें उपराष्ट्रपति, ओम बिरला लोक सभा स्पीकर अनेकों राज्यपाल, भारत सरकार एवं राज्यसभा के विशिष्ट मंत्री तथा बाल सेवा से जुड़े अनेकों संगठनों से शुभकामनाएं प्राप्त हुई
आलोक उल्फत ने अपने माता-पिता को याद किया और कहा, “मेरे पिता का समाज के वंचित वर्ग के लिए योगदान देने का सपना सच हो गया है और हमें इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है।”
नन्ही दुनिया ट्रस्ट के सदस्यों में से एक, प्रसिद्ध गांधीवादी रमेश शर्मा जी ने कहा, “यदि हमें विविधता और परिवर्तन की भावना को जीवित रखने की आवश्यकता है, तो हमें युवाओं और बच्चों की छोटी दुनिया (नन्ही दुनिया) को पोषित करने की आवश्यकता है”।
गणमान्य अतिथि श्रीमती छाया शर्मा , रमेश शर्मा श्रीमती एवं श्री आशीष जैन , विजय गोयल, रोहित शुक्ला, आलोक जैन, श्रीमती कांता ओबरॉय , योगेंद्र कुमार, सुधीर सिंधवानी श्रीमती एवं गौरव लाउल स्वयंसेवक शिवम हिमांशु दिया सूर्य प्रकाश अतुल यादव प्रकाश रेखा भावना बबीता कविता।