कांग्रेस और उनके नेताओं को न जाने क्या हो गया है कि अल्पसंख्यक वोटों को फिर से पाने की चाह में तुष्टीकरण की सभी हदें पार करते जा रहे हैं | सलमान खुर्शीद और राहुल गांधी की हिन्दुत्ववादी पाठशाला का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि मोदी विरोध की इंतिहा में पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होने वाले मणिशंकर अय्यर अब अत्याचारी मुगल शासकों की शान में कसीदें पर पढ़ रहे हैं | फिलहाल मणिशंकर से जुड़ा ताज विवाद क्या है उसे सरल और संक्षिप्त शब्दों में समझने की यहाँ कोशिश करते हैं
मुगल शासकों ने कभी धर्म के नाम पर अत्याचार नहीं किया
मणिशंकर अय्यर ने दावा किया है कि मुगलों ने कभी धर्म के नाम पर अत्याचार नहीं किया | अगर ऐसा किया होता तो भारत मुस्लिम देश होता | मुगल शासकों को क्लीन चिट देते हुए उन्होने बाबर द्धारा हुमायूँ को सद्भाव का माहौल बनाए रखने के लिए उस पत्र का उल्लेख भी किया जो अय्यर के अलावा किसी इतिहासिकार को नहीं मिला | अय्यर ने कहा कि बाबर ने अपने इस पत्र में हुमायूँ को भारत में सुरक्षित साम्राज्य के लिए किसी के धर्म में दखल नहीं देने की सलाह दी | हालांकि मुगल शासकों के हिंदुओं पर अत्याचार से इतिहास भरा पड़ा है जिसे कोई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है
जिन्ना की तारीफ कर उनके धार्मिक आधार पर राजनीति में आरक्षण मांगने का समर्थन किया
अय्यर जिन्ना की तारीफ करते हुए उनकी धार्मिक आधार पर मुस्लिमों को आजादी पूर्व सेंट्रल असेंबली 30 प्रतिशत आरक्षण की मांग को जायज बताया | वो बात और है कि गांधी जी ने इसका जबरदस्त विरोध किया था |
मुस्लिम जनसंख्या बढ्ने को गलत ठहराया
देश में मुस्लिम जनसंख्या नहीं बड़ी, आज भी दोनों धर्मों का जनसंख्या प्रतिशत 18वीं सदी जितना ही है
एक पुरानी जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि 1872 में देश में 72 फीसदी हिंदू थे और 24 फीसदी मुसलमान थे. कमोबेश ये संख्या अब भी वैसी ही है | जबकि पड़ोसी देश मुस्लिम देश बन गए है | मणिशंकर अय्यर ने मुगल शासन में हुए अत्याचारों की बातों का खंडन किया | उन्होंने मुगल बादशाह अकबर के शासन से लेकर तमाम दूसरे मुगल बादशाहों का उदाहरण देकर दावा किया कि मुगल शासन में कभी जोर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन नहीं करवाया गया |
हैरानी की बात है कि आज जब बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग भी खुद को अधिकांश मुगल शासकों के कार्यकाल से खुद को अलग कर देखते हैं | ऐसे में मणिशंकर अय्यर जैसे कोंग्रेसी नेताओं का इन शासकों के बहुसंख्यक वर्ग पर किए अत्याचारों को नकार कर महिमामंडित करना बेहद निंदनीय है | शायद उनकी यह कोशिश अपने ज्ञान और प्रतिभा के नाजायज उपयोग का यह सर्वोत्तम उदाहरण है |