देहरादून | आखिरकार लंबी उपापोह के बाद कैबिनेट मंत्री हरक रावत की भाजपा से हो गयी विदाई | हरक को धामी मंत्रीमण्डल से बर्खास्त और पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्काषित कर दिया गया है | सोमवार को कॉंग्रेस में जाने की खबरों के बीच देर शाम पार्टी से बाहर निकालने के पत्र पर मुहर लगा दी गयी |
काफी समय से भाजपा शुभचिंतकों में यह जुमला आम हो गया था कि ‘हरीश रावत से कमाई हरक सिंह ने लुटाई’ | क्यूंकि पूर्व सीएम हरीश रावत के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने को लेकर अपने ही आलाकमान से विवाद व सोशल मीडिया में की गयी चिट्ठी पत्री ने भाजपा को जितना फायदा पहुंचाया, उतना ही नुकसान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बयानों व गतिविधियों ने भाजपा को कराया | यही वजह है अंतत पार्टी ने उनसे किनारा करने का निर्णय लिया | हरक सिंह को बाहर निकाले जाने के प्रमुख कारणों में है उनका अपनी वर्तमान कोटद्धार सीट को बदलने का दबाब | वह पार्टी से उन्हे केदारनाथ से सीट से लड़ाये जाने के साथ साथ अपनी बहू के लिए लैंसडाउन का टिकट मांग रहे थे | इस संबंध में उनके लगातार अखबारबाजी पर पार्टी में सख्त नाराजगी थी | वहीं इससे पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के साथ लंबे समय तक चली खुली लड़ाई ने पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाया | उन पर मंत्री रहते लगे भ्रष्टाचार के आरोप पार्टी की ज़ीरो टोलेरेन्स सरकार के दावों पर डेंट लगाने का कार्य कर रहे थे | लंबे समय से उनके कॉंग्रेस में जाने की अटकलों को लेकर भी हरक सामने आकार कभी स्पष्ट जबाब नहीं दे रहे थे | हरक की आम जनता में बनी नकारात्मक छवि का नुकसान भी चुनाव में होने की आशंका प्रबल थी | शनिवार को हुई पार्टी कोर ग्रुप की बैठक में शामिल नहीं होने की घटना ने उनको पार्टी से बाहर करने के ताबूत पर अंतिम कील ठोक दी थी |
उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय से आ रही पार्टी छोड़ने की खबरों के बीच पहली मर्तबा किसी बड़े नेता को पार्टी से बाहर निकालने की खबर आई है | बरहाल जानकारों का कहना है कि हरक सिंह को पार्टी से निकालना भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है | उम्मीद लगाई जा रही है कि उनके कॉंग्रेस में शामिल होने से वहाँ हरीश रावत विरोधी गुटबाजी का बढ़ना तय है जिसका लाभ अंतत भाजपा को मिलेगा |