इस मर्तबा बारिश की साजिश ऐसी कि सितंबर के महीने में बरसात का सितम कम होने का नाम ले रहा है | औसत से दुगनी बारिश के आंकड़ों को देखते हुए मौसम विभाग ने भी मानसून की उत्तराखंड से देरी से विदाई की आशंका जताई है | और यह सब हो रहा राजस्थान में बनने वाला निम्न दबाब क्षेत्र और साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण |
इस मानसून बारिश की रफ्तार और अनियमित पैटर्न ने मौसम विभाग को पूरा व्यस्त किया हुआ है | अमूमन देखा जाता है कि सितंबर आते आते सूबे में बरसात की रफ्तार और मात्र बेहद कम हो जाती थी | लेकिन इस साल सितंबर महीने में सामान्य से अधिक बरस रहे मेघों ने सभी अनुमानों को ध्वस्त कर दिया है | सूबे में मानसून सीजन की बारिश का अनियमित क्रम का असर अब देखने को मिल रहा है । देहारादून स्थित मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुशार प्रदेशभर में भारी बारिश का सिलसिला पूरे महीने बने रहने की उम्मीद जताई जा रही है ।
इस बार प्रदेश में मानसून ने समय से पहले दस्तक दी थी लेकिन शुरुआती बारिश के बाद पूरी तरह से सक्रिय होने में आधा जुलाई निकाल गया | 13 जून को मानसून के सक्रिय होने के बाद भी जुलाई के पहले सप्ताह में भी बादल सामान्य से 66 फीसद कम बरसे । तीसरे सप्ताह आते आते मानसून ने गति पकड़ी और सामान्य से 27 फीसद अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। तब से लेकर अब तक सितंबर माह में भी सामान्य से अधिक बारिश हो रही है। एक और देहरादून, टिहरी और नैनीताल की बात करें तो वहाँ सामान्य से दोगुनी बारिश दर्ज़ हुई है । वहीं समूचे प्रदेश में पहले सितंबर महीने के पहले 10 दिन में 40 फीसद अधिक बारिश दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने पूरे सितंबर माह में औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है । उन्होने बारिश के वर्तमान ट्रैंड के मद्देनजर मानसून की विदाई की औसत तारीख भी आगे बढ़ सकती है। सामान्यत: राज्य से मानसून 27-28 सितंबर तक चला जाता था । जिसके इस बार अक्तूबर माह में पहुँचने वाली है | लिहाजा मानसून की बरसात के साथ मजा और सजा का दौर लंबा खींचना तय है |