देहरादून| चुनाव लड़ने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत की आनाकानी पर भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने चुटकी लेते हुए कहा “चुनावों में हार का रिकॉर्ड बनाने वाले हरदा इस मर्तबा फिर हार-दा”, सीएम तो बनना चाहते हैं लेकिन चुनाव लड़ने से डरते हैं | पार्टी की और से बड़ा हमला करते हुए बयान जारी कर कहा कि एक और हरदा सीएम बनने की लालसा में भगवान बद्री विशाल से लेकर अपनी पार्टी के दिल्ली दरबार तक में प्रार्थना पर प्रार्थना कर रहे हैं, वहीं दूसरी और स्वयं चुनाव में उतरने से डर रहे हैं | हरदा को बहाने बनाने के बजाय स्पष्ट स्वीकार करना चाहिए कि उनके मन में हार का अंदाज़ा उन्हे चुनाव लड़ने रोक रही है | उनको भलीभाँति एहसास है कि सत्ता और विपक्ष दोनों भूमिकाओं में उनकी नाकामी उत्तराखंड की जनता देख चुकी है इसलिए चुनाव में उतरे तो हारना तय है | अब चूंकि हार कर वह अपनी राजनैतिक पारी का अंत नहीं करना चाहते तभी अपने समर्थकों और मीडिया के बीच चुनाव मैदान में नहीं उतरने के बहाने बना रहे हैं | क्यूंकि विश्वास नहीं होता, जो सीएम पद का चेहरा बनने के लिए अपनी तथाकथित उत्तरखंडीयत को 10 जनपथ में गिरवी रख आया हो, जो 2017 में सीएम रहते हुए दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ा हो वह अब बेवजह स्वयं एक भी सीट से चुनाव में नहीं उतरने का जोखिम क्यूँ लेगा ?
सुरेश जोशी ने उनके चुनावी इतिहास के आंकड़ें सामने रखते हुए कहा कि विगत 30 सालों में 1991 से लेकर आज तक हरीश रावत कुल 6 बार लोकसभा चुनावों में हार का मुंह देख चुके हैं , जिसमे स्वयं 5 मर्तबा और एक मर्तबा उनकी पत्नी शामिल हैं | वहीं विधानसभा की बात करें तो एक बार 2014 में धारचूला से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हरीश रावत दो बार विधानसभा हार चुके वह भी मुख्यमंत्री रहते | अब बड़ी बेशर्मी से अपने प्रचार प्रबन्धकों के बलबूते उत्तराखंड की चाहत होने का भ्रमजाल खड़ा करना चाहते हैं | “सारा उत्तराखंड हरदा संग” सोशल मीडिया कैम्पेन चला रहे हैं लेकिन स्वयं उनकी पार्टी और दिल्ली में बैठे नेता उनके संग नहीं है | सुरेश जोशी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि रावत जी ये सब जानती है