उत्तराखंड में भारी बर्फबारी ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। त्यूणी-चकराता-मसूरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब तीस किलोमीटर तक बर्फ की मोटी चादर जम गई है जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। कई पर्यटक बर्फबारी में फंस गए हैं। बर्फबारी से किसानों में खुशी का माहौल है। वहीं उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
ऊंची चोटियों पर बर्फबारी इस कदर हुई कि त्यूणी-चकराता-मसूरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब तीस किलोमीटर दायरे में यातायात पूरी तरह ठप हो गया। धारनाधार से कोटी कनासर तक मार्ग पर बर्फ की मोटी चादर चढ़ी रही। जहां पर दिल्ली के दो पर्यटक फंस गए। हालांकि वे एक स्थानीय होटल में रुके हुए हैं।
वापस लौटने के लिए उन्हें रोड से बर्फ हटने का इंतजार है। मगर मार्ग पर सोमवार रात से बंद यातायात मंगलवार देर शाम तक सुचारू नहीं हो सका। इस कारण लोकल लोगों को भी अन्य वैकल्पिक मार्गों से होकर गंतव्य तक जाना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग से बर्फ हटाने को एनएच के अधिकारियों ने जेसीबी व स्नो कटर लगाए हैं, लेकिन जेसीबी स्लिप होने की वजह से ज्यादा बर्फ नहीं हटाई जा सकी। मार्ग पर सफर खतरे से खाली नहीं है। बर्फ पर वाहन फिसल रहे हैं, वही दो पहिया वाहन चालक भी चोटिल हो रहे हैं।
क्रिसमस और नव वर्ष के जश्न के लिए पर्यटकों के उमड़ने से क्षेत्र में व्यवसाय बढ़ेगा। क्योंकि कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर कालसी, साहिया व चकराता क्षेत्र में कई होटल, रिसार्ट व होम स्टे आदि हैं। वहीं बर्फबारी को लेकर किसानों में भी खुशी का माहौल है। चकराता क्षेत्र के किसान बर्फ में हारुल नृत्य कर रहे हैं।
उनका कहना है कि जनवरी में माघ मरोज पर्व है, दिसंबर में बर्फबारी होने से पर्व का आंनद और दोगुना हो जाएगा। दरअसल वर्तमान में सेब, आड़ू, खुमानी की बागवानी के लिए बर्फबारी काफी फायदेमंद है। कोटी कनासर, लोखंडी, मोइला टाप, खड़म्बा, बुधेर, देववन आदि ऊंची चोटियां बर्फ से लकदक होने के कारण हर तरफ विहंगम नजारा है।
इसी प्रकार साहिया में भी ग्राम पंचायत मुगाड के गांव मुडोई कचाणू के ग्रामीणों ने भी बर्फ में हारूल नृत्य किया। इस मौके पर कलम सिंह चौहान, अतर चौहान, मेहर सिंह चौहान, नेपाल चौहान, सूरत चौहान, मोहर सिंह चौहान, सचिन चौहान,खजान चौहान, पीयूष आदि का कहना था कि सीजन की दूसरी बर्फबारी से सभी उत्साहित हैं।