अब लगभग तय हो गया है कि पीएम मोदी ही लगाएंगे प्रदेश राजनीति के ज्वलंत मुद्दों में शुमार देवस्थानम एक्ट विवाद पर विराम | दरअसल एक्ट को लेकर तीर्थ पुरोहित वर्ग के आंदोलन को शीघ्र समाप्त करने की इच्छुक धामी सरकार, मोदी की केदार यात्रा के दौरान ही बोर्ड भंग करने का मन बना चुकी है | ऐसे में हालिया कृषि कानून वापिसी के बाद अब चार धाम एक्ट वापिसी की घोषणा भी मोदी अपनी 3 दिसंबर की देहरादून रैली के दौरान करेंगे | चूंकि इस ऐक्ट को लेकर तीन-तीन मुख्यमंत्रियों की अहम भूमिका रही है इसलिए इसकी विवादरहित वापिसी के लिए मोदी की मौजूदगी को भाजपा रणनीतिकारों ने अहम माना |
लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड एक्ट के खिलाफ आंदोलनरत तीर्थ पुरोहित, पुजारी समाज एवं हक हकूकधारियों की मुराद आखिरकार पूरी होने वाली है | क्यूंकि उत्तराखंड सरकार इस एक्ट को वापिस लेने जा रही है | हालांकि इसके संकेत धामी सरकार ने मोदी के केदारनाथ धाम दौरे से पहले उस समय दे ही दे दिये थे जब आंदोलनकारियों की टकराव वाली रणनीति के चलते पीएम के दौरे पर भी सवाल खड़े होने लगे थे | इस दौरान एक अवसर ऐसा भी आया कि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत को केदार बाबा के दर्शन से रोककर कर उन्होने अपना विरोध दर्ज़ कराया | शायद उसी दिन तय हो गया था कि इस एक्ट को लेकर असंतुष्ट पक्ष को समझाने का समय गुजर गया है | क्यूंकि इससे पूर्व तीर्थ सिंह रावत के मुख्यमंत्रिकाल में भी वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहरकान्त ध्यानी की अध्यक्षता में बनाई एक्ट के पहलुओं पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गयी थी | लेकिन इस प्रक्रिया का हासिल भी सिफर ही निकला | अब सभी इस निष्कर्ष पर पहुँच गए थे कि कृषि सुधार कानून से नाराज किसानों की तरह असंतुष्ट तीर्थ पुरोहित समाज का मानना अब नामुंकिन सा है |
अब जब तय हो गया कि चार धाम एक्ट को वापिस लेने के अलावा कोई चारा नहीं, ऐसे लाख टके का सवाल था कि इसकी घोषणा की रूपरेखा तय करना | क्यूंकि इस एक्ट को पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के कार्यकाल में लागू किया गया था और एक्ट को लेकर वह समय समय पर अपने भावनात्मक लगाव को सार्वजनिक भी कर चुके हैं | वहीं दूसरे पूर्व सीएम तीर्थ सिंह रावत ने एक कदम आगे बढ़कर बकायदा बोर्ड के सदस्यों को मनोनीत भी कर दिया था | ऐसे में सीएम पुष्कर धामी के लिए प्रदेश की राजनीति में अहम बने इस एक्ट को वापिस लेने की घोषणा करना आसान नहीं है | लिहाजा सूत्रों का कहना है कि पार्टी और सरकार के रणनीतिकारों के अनुशार कानून वापिसी को विवादरहित और गरिमामय बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी को सुनिश्चित किया गया |
फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि देवस्थानम बोर्ड एक्ट वापिसी से भाजपा सरकार के लगभग समूचे कार्यकाल में जारी रहे इस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा | अब चूंकि विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय बचा है और विरोध करने वाले अधिकांश लोग भाजपा के ही कोर वोटर है | लिहाजा एक्ट वापिसी से पार्टी को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर वह ‘न नफा न नुकसान’ की स्थिति में आ जाएगी, जो पार्टी के लिए शुभ संकेत होगा |