गरिमा मेहरा दसौनी ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ की गई पुलिस बर्बरता को ना काबिले बर्दाश्त/ निंदनीय बताया है उन्होंने कहा की शांतिपूर्ण तरीके से मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे संविदा कर्मियों पर सोमवार को पुलिस प्रशासन के द्वारा दमनकारी नीति के चलते बर्बरता एवं लाठीचार्ज कि या जाना एक निंदनीय घटना हे कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी एवं प्रदेश प्रवक्ता सुजाता पॉल ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित कि।
सुजाता पॉल ने पुलिस प्रशासन की बर्बरता का आंखों देखा हाल पत्रकारों के सामने रखा। सुजाता पॉल ने कहा गर्भवती महिला को घसीटना और लात मारना क्या यही है उत्तराखंड सरकार के संस्कार ??क्या यही है भाजपा का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान?? सुजाता पॉल ने कहा हम सबको शर्मसार होने की जरूरत है क्योंकि हमारी आंखों के सामने हमारी ही गर्भवती मातृशक्ति को पुलिस प्रशासन ने इतना अमानवीय व्यवहार किया वही एक दूसरी महिला का चार पांच पुलिसकर्मियों ने हाथ खींचा जिस वजह से वह गंभीर रूप से चोटिल हुई है। वही एक और युवक जो कि इन सभी आंदोलनरत कर्मियों के अध्यक्ष हैं उनकी इतनी पिटाई की गई है कि वह अपने पैरों में खड़े तक नही हो पा रहे हैं ।सुजाता पॉल ने स्वास्थ मंत्री धन सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि आखिर हमारे युवाओं के साथ अन्याय क्यों हो रहा है ??दोनों ही नेत्रियों ने शासन प्रशासन को चेताया कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए वरना कांग्रेस पार्टी सदन से लेकर सड़क तक हल्ला बोल करने के लिए मजबूर होगी।सुजाता पॉल ने कहा महिलाओं के बलिदानों से बने राज्य में मातृशक्ति पर पुलिस बर्बरता निंदनीय है और इसकी जवाबदेही मुख्यमंत्री की है।
गरिमा मेहरा दसोनी एवं सुजाता पॉल ने शाम 6:00 बजे चोटिल हुई दोनों महिलाओं का हाल चाल जानने के लिए मुलाकात का समय लिया है।
इस पूरी घटना को लेकर शासन और प्रशासन की तरह का कोई कदम नहीं उठा रहे वही दूँ हॉस्पिटल में ही कार्यरत ये स्वस्थ कर्मी आज उपेच्छा का शिकार हो रहे है जहा कुछ महीनो पूर्व शासन और प्रशासन इन्हे भगवान के रुप में मान रहा था ,वही आज इन पर शासन और प्रशासन इन पर जानवरो की तरह लाठिया बरसा रहा है । जिस तरह गर्भवती महिला के साथ पुलिस कर्मिओ द्व्रारा इस कार्य को किया गया है ,उसके पीछे की मनसा को जानना अति आवशक हे ,जिस तरह से शासन ने पुरे मामले में चुपी साधी हुई हे और पुलिस अधिकारिओ द्वारा ना ही हॉस्पिटल और न नहीं दोषी पुलिस कर्मिओ के खिलाफ कोई कार्य वाही नहीं कर रही है ,इससे यह साफ हो जाता हे की पूरी घटना एक सोची समझी साजिश है ।