
*गौ शाला में कार्य करने को मजबूर आशा कार्यकर्ता
*बारिश और धूप में छाते के नीचे काम करने को मजबूर आंगन बाड़ी कार्यकर्ता
*स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के दावों की जमीनी हकीकत
*आखिर क्यों नहीं ध्यान दे रहे स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री धामी स्वास्थ्य की बद हाल और लचर व्यवस्था पर???
*स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी हो रहे हैं बेलगाम
*आखीर क्यों वार्ड में नहीं उचित व्यवस्था आंगनबाड़ी केंद्र की???
*मेयर गामा”मेरे द्वारा जांच कर देखा जाएगा कि आशा कार्यकर्ताओं को जगह की जरूरत है या नहीं”
*Cmo /अधिकारी भी झाड़ रहे अपनी जिमेदारी से पल्ला
*अहंकार की भेंट चढ़ रही आशा कार्यकर्ता और जनता
हाल ए स्मार्ट सिटी स्मार्ट वार्ड 31 मे इतनी बारिश होने के बाद भी वार्ड की आशा कार्यकर्ता बहने और वो सभी माताएं जो अपने और आपने बच्चो को समय समय पर लगने वाली वैक्सीन लगवाने आयी है, एक पेड़ के नीचे छाता पकड़े वैक्सीन लगा और लगवा रही हैं। राज्य में आशाओं की इस हालत का जिम्मेदार आखिर कौन है कौन लेगा इनकी जिम्मेदारी जबकि निगम द्वारा बनाए गए पंचायत भवन का उपयोग केवल परिचित लोगों और शुल्क लेकर शादी पार्टी आदि के लिए उपयोग में लाया जा रहा है,इस विषय में कुछ दिन जो आशाएं बहने अपने कार्य की प्रति सच्ची निष्ठा एवं से कार्य कर रही हैं राज्य सरकार द्वारा इस तरह का द्वार बहुत ही शर्मनाक है केवल वार्ड 31 में देहरादून के ऐसे वार हैं जहां पर आंगनवाड़ी केंद्र और पंचायत भवन होते हुए भी आशाओं बहनों माताओं को इसके उपयोग की अनुमति नहीं दी जाती है क्या केवल कैसे पैसे लेकर इसके उपयोग हेतु बनाए गए सामुदायिक केंद्र??
उत्तराखंड प्रदेश सचिव लक्की राणा से बात करने पर पता चला की वार्ड में कई समय से विधायक पार्षद द्वारा कई कार्यो जो लोकहित में है उनकी अनदेखी की जा रही है ,उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि आशाओं बहनों की वार्ड से लेकर निगम तक प्रदेश और केंद्र की भाजपा सरकार के नेताओं एवं विभाग की पोल खोल दी है जहां एक तरफ मंत्र धन सिंह रावत स्वास्थ्य विभाग को लेकर कई बड़े दावे करते आए हैं इससे उनके दावों की प्रति कितना जमीन सच्चाई है इस बात से पता चलता है।
किया कहती है आशा सुपरवाइजर उर्मिला व आशा कार्यकर्ता
आशा कार्यकर्ताओं से बात कर पर पता चला की वह लोग लगभग 30 वर्षों से वार्ड 31 में कार्य कर रही हैं जिस स्थान पर सामुदायिक भवन का निर्माण किया गया है पहले वह पंचायती भवन था जिसका उपयोग आशा कार्यकर्ताओं द्वारा उपयोग में किया जाता रहा है। पूर्व विधायक ,पूर्व पार्षद द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को यह कहकर हटाया गया था कि जिस समय यह सामुदायिक भवन बन जाएगा तब आपको कार्यालय उपयोग हेतु जगह दे दी जाएगी परंतु आज जब सामुदायिक भवन बनकर तैयार हो गया है ,तो इसका उपयोग केवल लोगो शादी पार्टी आदि कार्यक्रमों में इस भवन का उपयोग करया जा रहा हैं ।
आशा कार्यकर्ताओं का मेयर सुनील गामा, मौजूदा विधायक सविता कपूर, वर्तमान पार्षद संविधा गुरंग द्वारा उनकी अनदेखी की जा रही है, आशा कार्यकर्ताओं ने मेयर गामा पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे द्वारा जब यह कहा गया की हम पेड़ के नीचे लोगों को वैक्सीन व अन्य स्वास्थ्य की सेवाएं दे रहे हैं तो इस पर गामा द्वारा कहा गया कि हमारे द्वारा आपके केंद्र पर जाकर जांच की जाएगी की आप हकीकत में पेड़ के नीचे बैठकर कार्य कर रहे हैं ,उसके बाद आपको किसी भवन की स्वीकृति दी जाएगी, आशाएं अपने केंद्र को चलाने के लिए एक गौशाला जो कि ₹700 महीने किराए पर ले रखी है ,जिसका उपयोग वह अपना सामान आदि रखरखाव के लिए करते हैं और लोगों को पेड़ के नीचे बैठकर टीका एवं दवाइयों का वितरण करते हैं।
पार्षद संविदा गुरंग क्या कहती हैं इस मामले पर
पार्षद द्वारा उक्त विषय पर बात करने पर उन्होंने कहा की आशाओं द्वारा मुझे किसी भी प्रकार का कोई ज्ञापन नहीं दिया गया है जिसमें उन्होंने यह कहा हो कि हमें स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भवन की आवश्यकता है, सवालों का जवाब देते हुए पार्षद ने कहा की मुझे कुछ दिन पूर्व ही पता चला है की आशा कार्यकर्ताओं ने मेयर सुनील उनियाल गामा को वाह सविता कपूर को इसके विषय में ज्ञापन दिया है ,इस पर उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं से कहा की आप जाकर उन्हीं से अपने लिए पंचायत घर और स्वास्थ्य भवन के लिए जगह मांगे उन्होंने कहा कि यह सामुदायिक भवन मेरे प्रयासों से शुरू एवं बनवाया गया है जिसका उपयोग लोगों के शादी समारोह ,मुंडन कार्यक्रम और अन्य सामाजिक कार्य किए जाएंगे ,परंतु जब उनसे यह प्रश्न किया गया कि आशा कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा कार्य भी एक सामाजिक और समाज के लोगों के हित में है, इस पर पार्षद ने कहा की मैं उनको सामुदायिक भवन पर अपना सामान नहीं रखने दूंगी और ना ही आशा कार्यकर्ताओं का कब्जा सामुदायिक भवन के होने दूंगी ।
उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की की मेयर गामा द्वारा यह कहा गया था, की उनके द्वारा क्षेत्र का भ्रमण कर देखा जाएगा की हकीकत में आशा कार्यकर्ता हैं पेड़ के नीचे बैठकर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
ऐसे में राज्यों के लोगो को राजनेतिक अहंकार का सामना करना पड़ रहा है, कैसे होगा राज्य और राज्यो के लोगों समानता का अधिकार देने वाले दावों का।